भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इंद्रधनुष में जैसे रंग / देवमणि पांडेय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:15, 8 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवमणि पांडेय }} Category:ग़ज़ल इंद्रधनुष में जैसे रंग ख़...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इंद्रधनुष में जैसे रंग

ख़्वाब रहे हैं मेरे संग।


उस चेहरे ने दस्तक दी

तन-मन में भर गई उमंग।


प्रेम नगर मे पता चला

चाहत की गलियाँ हैं तंग।


मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ

जैसे कोई कटी पतंग।


ख़ुशबू ने फूलों से कहा

जीना-मरना तेरे संग।


लमहे में सदियाँ जी लें

हम तो ठहरे, यार, मलंग।