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सप्ताह की कविता | शीर्षक: पाखण्ड-व्रत-कथा रचनाकार: कात्यायनी |
कविता में यह दन्द-फन्द छल-छन्द, गन्द-भरभण्ड। चमचा-कलछुल-अल्टा-पल्टा जीवन से जयचन्द... ... आलोचक ज्यों परमानन्द, आनन्द-कन्द-मतिमन्द... ... घट-घट में व्यापि डकार हे खण्ड-खण्ड पाखण्ड जय हो... जय हो... जय हो... जय-जय-जय-जय-जय हो... पों ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ