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वक़्त करता जो वफ़ा / इंदीवर

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गरज-गरज शोर करत काली घटा, जिया न लागे हमार।


बिजली बन कर चमकती मेरे मन की आग।

आहें मेरी बन गईं न्यारे-न्यारे राग।।

सावन की भीगी है रात, सखी सुन री मेरी तू बात।

है नैनों में आँसुओं की धार, जिया न लागे हमार।। गरज...


मेरे आँसू बरसते लोग कहें बरसात।

पल-पल आवत याद है पिया मिलन की रात।।

कोयल की दरदीली तान सखि दिल में मारत बान।

अब कैसे हो मुझ को करार, जिया न लागे हमार।। गरज...