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सौत-सम्वाद / अनातोली परपरा
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एक लोकगीत को सुनकर
ओ झड़बेरी, ओ झड़बेरी
मैं तुझे कहूँ व्यथा मेरी
सुन मेरी बात, री झड़बेरी
आता जो तेरे पास अहेरी
वह मेरा बालम सांवरिया
न कर उससे, यारी गहरी
वह छलिया, ठग है जादूगर
करता फुसला कर रति-लहरी
न कुपित हो तू, बहना, मुझ पे
बहुत आकुल हूँ, कातर गहरी