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पानी-प्यार-एक / रेणु हुसैन

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हसीन कोई लमहा होता है प्यारा-सा कोई मौसम धरती के उजले आंचल से चांदनी की हल्की फुहार-सा जब फूट निकलता है पानी पानी का पानी बनना सुंदर सपने-सा होता है

झरने, नदियां और समंदर सब पानी से बनते हैं सब सीमाएं ढह जाती हैं सब बंधन खुल जाते हैं पानी गर बह निकले तो रास्ते खुद बन जाते हैं

आगे बढ़ता जाता है पानी बहता जाता है पानी की फ़ितरत है बहना कोई रोक न पाए राह के पत्थर पाप ज़हां के पानी में सब कुछ बह जाए

प्यार है पानी पानी-प्यार जैसे बहता रहता पानी वैसे बहत रहता प्यार