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हत्भाग्य / सांवर दइया

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गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
बहरा सराह रहा है
सजी सभा में
पंगुल पांव सहला कर बोला -
मैं नाचूंगा ।
अंधा आगे आया
कड़क कर बोला -
तुमने ठेका ले रक्खा है
मुझे भी तो देखने दो !
कलाकार !
लो, संभालो तुम्हारी कलम !

अनुवाद : मोहन आलोक