भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नया आदमी / अशोक चक्रधर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:35, 16 अक्टूबर 2007 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: अशोक चक्रधर

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

डॉक्टर बोला-
दूसरों की तरह
क्यों नहीं जीते हो,
इतनी क्यों पीते हो?

वे बोले-
मैं तो दूसरों से भी
अच्छी तरह जीता हूँ,
सिर्फ़ एक पैग पीता हूँ।
एक पैग लेते ही
मैं नया आदमी
हो जाता हूँ,
फिर बाकी सारी बोतल
उस नए आदमी को ही
पिलाता हूँ।