कैसे चुपचाप मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ जिस्म की ठंडी सी तारीक सियाह कब्र के अंदर! ना किसी सांस की आवाज़ ना सिसकी कोई ना कोई आह, ना जुम्बिश ना ही आहट कोई ऐसे चुपचाप ही मर जाते हैं कुछ लोग यहाँ उनको दफ़नाने की ज़हमत भी उठानी नहीं पड़ती !