Last modified on 7 अक्टूबर 2010, at 17:58

देश में लगी आग को / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:58, 7 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=मार प्यार की थापें / के…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

देश में लगी आग को
लफ्फाजी नेता
शब्दों से बुझाते हैं;
वाग्धारा से
ऊसर को उर्वर
और देश को
आत्म-निर्भर बनाते हैं;
लोकतंत्र का शासन
भाषण-तंत्र से
चलाते हैं।

रचनाकाल: ०२-०३-१९७७