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पीव बसै परदेस / नंद भारद्वाज

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<peom>एक अणचींतै हरख

अर उमाव में थूं उडीकै

मेड़ी चढ़ खुलै चौबारै

सांम्ही खुलतै मारग माथै

अटक्योड़ी रैवै अबोली दीठ

पिछांणी पगथळियां री सौरम

सरसै मन रा मरूथळ में

हेत भरियै हीयै सूं

उगेरै अमीणा गीत

अणदीठी कुरजां रै नांव

संभळावै झीणा सनेसा !

हथाळियां राची मेंहदी अर

गैरूं वरणै आभै में

चितारै अलूंणै उणियारै री ओळ

भीगी पलकां सूं

पुचकारै हालतौ पालणौ !

आंगणै अधबीच ऊभी निरखै

चिड़कलियां री रळियावणी रम्मत

माळां बावड़ता पाछा पंखेरू

छाजां सूं उडावै काळा काग

आथमतै दिन में सोधै सायब री सैनांणी !

च्यारूं कूंटां में

गरणावै गाढौ मूंन

काळजै री कोरां में

झबकै ओळूं री बीजळियां

सोपो पड़ियोड़ी बस्ती में

थूं जागै आखी रैण

पसवाड़ा फोरै धरती रै पथरणै !

धीजै री धोराऊ पाळां

ऊगता रैवै एक लीली आस रा अंकुर

बरसतां मेहुड़ां री छांट

मिळ जावै नेह रा रळकतां रेलां में !

पण नेह मांगै नीड़

जमीं चाहीजै ऊभौ रैवण नै

घर में ऊंधा पड़िया है खाली ठांव

भखारियां सूंनी बूंकीजै -

खुल्ला करनाळा,

जीवण अबखौ अर करड़ौ है भौळी नार -

किरची किरची व्हे जावै

सपनां रा घरकोल्या:

वा हंसता फूलां री सोवन क्यार

वौ अपणेस गार माटी री गीली भींतां रौ

वा मोत्यां मूंघी मुळक -

हीयै रौ ऊमावौ:

जावौ बालम -

परदेसां सिधावौ !

थूं उडीकै जीवण री इणी ढाळ

अर रफ्तां-रफ्तां

रेत में रळ जावै सगळी उम्मीदां !

जिण आस में बरतावै आखौ बरस

वा ई कूड़ी पड़ जावै सेवट सांपरतां

परदेसां री परकम्मा रौ इत्तौ मूंघौ मोल -

मिनख री कीमत कूंतीजै खुल्लै बजारां !

आ सांची है के

परदेसां कमावै थारौ पीव

अर आखी ऊमर

थूं जीवै पीव सूं परबारै !</peom>