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सबद-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
Neeraj Daiya
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(नया पृष्ठ: <poem>इयां इ नीं बिरथा गमाओ सबदां नै राखणा पड़सी कीं सबद दूसर नेड़ा आ…)
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इयां इ नीं
बिरथा गमाओ
सबदां नै
राखणा पड़सी
कीं सबद
दूसर नेड़ा
आवण रै मिस
मून तोड़ण सारू ।