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छात री बात / विनोद स्वामी

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छात रै मोरै मांखर
सूरज देख्यो म्हारै कानी
बोल्यो-
बाळ देस्यूं
छात मुळकी म्हारै कानी
अर बोली-
सूत्या रैवो, सूत्या रैवो
ओ तो इयां ई करै!