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वक़्त तलाशी लेगा / रमेश रंजक

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      वक़्त तलाशी लेगा
       वह भी चढ़े बुढ़ापे में
       सँभल कर चल ।
कोई भी सामान न रखना
जाना-पहचाना
किसी शत्रु का, किसी मित्र का
ढंग न अपनाना
       अपनी छोटी-सी ज़मीन पर
       अपनी उगा फसल
       सँभल कर चल ।

ख्वारी हो सफ़ेद बालों की
ऐसा मत करना
ज़हर जवानी में पी कर ही
जीती है रचना
         जितना है उतना ही रख
         गीतों में गंगाजल
         वे जो आएंगे
         छानेंगे कपड़े बदल-बदल
         सँभल कर चल ।