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माई री! / मीराबाई

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रचनाकार:मीराबाई

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माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल।

कोई कहै छानै, कोई कहै छुपकै, लियो री बजंता ढोल।

कोई कहै मुहंघो, कोई कहै सुहंगो, लियो री तराजू तोल।

कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल।

या ही कूं सब जाणत है, लियो री आँखी खोल।

मीरा कूं प्रभु दरसण दीज्‍यो, पूरब जनम को कोल।