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आपां मिळिया? / श्यामसुंदर भारती
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यूं मिळिया आपां
म्हैं थां सूं मिळियौ
जकौ म्हैं नीं हौ
थां ई म्हां सूं मिळिया
जका थां नीं हा
मिळतां पांण
म्हैं तपाक सूं हाथ आगै कियौ
जकौ म्हां’रौ नीं हौ
थां ई झट हाथ लांबौ कियौ
जकौ थां’रौ नीं हौ
यूं आपां मिळ नै
दूजा-दूजा हाथ मिळाया
दूजी-दूजी मुळक पसारी
खिणखौळै चढिया
घणी सारी दूजी-दूजी बातां करी
इण भांत बार-बार
दूजा-दूजा आपां
एक-दूजे सूं मिळिया
आपां कदैई मिळिया ?