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रात / सिद्धेश्वर सिंह
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रात
ख़ुद से कर रही है बात ।
शब्दों की बिसात पर
ख़ुद को ही शह ख़ुद से ही मात ।
कौन है
जो नींद को जगाए हुए है ?
कौन है
जो आधी रात को कह रहा है शुभ प्रभात !