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किस से गर्मी का रखा जाए ये भारी रोज़ा / रंगीन
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किस से गर्मी का रखा जाए ये भारी रोज़ा
सर्दी होवे तो रखे मुझ सी बेचारी रोज़ा
देख पंसूरे में तारीख़ बता दे मुझ को
अब के आ तो जी रखूँगी मैं हज़ारी रोज़ा
मुँह पे कुछ रखती नहीं अपने वो पन-भत्ति में
खोलती जब है ददा मेरी दुलारी रोज़ा
आज से फ़िर्नी ओ फ़ालूदा की तय्यारी कर
कल है नौ-चंदी रखेगी मेरी प्यारी रोज़ा
मेरा मुँह उतरा हुआ देख के कहती है जिया
आज तू कर के न रख मिन्नत-ओ-ज़ारी रोज़ा