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शहतूत / सबीर हका
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क्या आपने कभी शहतूत देखा है,
जहाँ गिरता है, उतनी ज़मीन पर
उसके लाल रस का धब्बा पड़ जाता है।
गिरने से ज़्यादा
पीड़ादायी कुछ नहीं।
मैंने कितने मज़दूरों को देखा है
इमारतों से गिरते हुए,
गिरकर शहतूत बन जाते हुए।
अँग्रेज़ी से अनुवाद -- गीत चतुर्वेदी