भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चिड़ियाघर / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:48, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रोज खेलते रहे पार्क में
आज चलेंगे चिड़ियाघर
दूर-दूर से जहां जानवर
रखे गए हैं ला-ला कर।
थैलीदार पेट कंगारू-
का जाने कैसा होता,
उस में बच्चा उसका कैसे
खूब मज़े से हैं सोता।
देखें तो दरियाई घोडा
कैसे केला खाता है,
देखें बब्बर शेर किस तरह
गुस्से से गुर्राता है।