भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पूंजी / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 20 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=फिर भी कुछ रह जा...)
चुटकी भर मिट्टी
चोंच भर पानी
चिलम भर आग
दम भर हवा
पूंजी है यह
खाने
और लेकर
परदेश जाने के लिए।