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त्रासदी की कथा या ख़ुशी की कथा / विनोद तिवारी
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त्रासदी की कथा या ख़ुशी की कथा
मिलती-जुलती मिली हर किसी की कथा
क्रूर क़िस्से अँधेरों के मशहूर थे
कौन सुनता सरल चाँदनी की कथा
नन्हें दीपक ने दीपावली से कहा
तुमको कैसी लगी रोशनी की कथा
विश्व की वेदना मेरी संवेदना
मैंने पल-पल सुनी ज़िंदगी की कथा
स्वर-लहरियों में बहते हुए खो गए
थी हवा की छुवन बाँसुरी की कथा
बंजरों मरुथलों में भटकती फिरी
प्यास ही प्यास थी जिस नदी की कथा
इक धमाका, धुआँ ,ध्वस्त होती धरा
बन न जाए कहीं इस सदी की कथा