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सरवन पँवारा / कन्नौजी

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कात–बास दोइ अँधा बसइँ
अमर लोक नाराँइन बसे
अँधी कहति अँधते बात
 हम तुम चलें राम के पास
कहा राम हरि तेरो लियो
 एकुँ न बालक हमकू दियो
बालकु देउ भलो सो जाँनि
 मात–पितन की राखै काँनि।
एक माँस के अच्छर तीनि
 दुसरे माँस लइउड़े सरीर
तिसरे माँस के सरबन पूत्र
डेहरी लाँघइ फरकइ दुआरु
देखउ बालकु जूकिन कार
जू बालकु अन्धी को होई
जू बालकु सूरा का होइ
लइलेउ अन्धी अपनो लालु
लइलेउ सूरा अपनो लालु्
जू जो जिअइ तउ हउ बड़ भागि
दिन–दिन अन्धी सेवन लागि
 दिन–दिन सूरा के भओ उजियार