भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आंधी / श्याम महर्षि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काळी पीळी आंधी
उतराद सूं
आंवती रैयी है
बरसां सूं
अर मिटांवती रैयी है
जाति सभ्यता अर
इतियास रा खोज।

आंधी अर तूफान री
ताकत सूं
बणता-बिगड़ता रैया
महल-माळिया अर गढ़
आंधी बींया ई
आंवती रैयी है लगोलग
अर मिटावंती रैयी है
इतियास रा पाना।

मरूभोम रा लूंठा धोरा
इण रै आदेश मुजब
बणावता बिगाड़ता रैया
भाग
अठै रै मिनख रो,
मिनख इण अबखाई नैं
झेलतौ रैयो
अर करतो रैयो जुद्ध
इण काळी पीळी आंधी सूं।

आज रो मिनख
इण आंधी सूं
अजाण नीं,
आधीं अबै नीं
कर सकै कोई लूंठी अबखाई
इण रै बेग सूं
अबै बदलीजै
सालो-साल
खेत री माटी
अर उगावै नूंवी फसल।

आंधी अबै
अण देखी रो पर्याय नीं
एक वेग रो नांव है,
जिकी सैंकड़ा बरसां सूं
उतराद सू दिखणाद कानीं
चालती रेवै।