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नाम / ब्रजेश कृष्ण
Kavita Kosh से
मैंने तुम्हारा नाम लिया
तो धीरे से मेरे होंठ हिले
जहाँ मैं खड़ा था
वह धरा हिली
सामने का वृक्ष हिला
वृक्ष पर बैठी चिड़िया
और चिड़िया में समाया आसमान
सब दिक्-दिगन्त
सब कुछ हिला
तुम्हारा नाम लेने से
ठहरी हुई सृष्टि के
दरवाजे़ पर दस्तक है
तुम्हारा नाम।