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यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ दी हमने / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ दी हमने
चोट एक प्यार की ताज़ा ही छोड़ दी हमने
सिर्फ आँचल के पकड़ लेने से नाराज़ थे आप!
अब तो ख़ुश हैं कि ये दुनिया ही छोड़ दी हमने
आप क्यों देखके आइना मुँह फिरा बैठे!
लीजिये, आपकी चरचा ही छोड़ दी हमने
क्या हुआ फूल जो होँठों से चुन लिए दो-चार
और ख़ुशबू तेरी ताज़ा ही छोड़ दी हमने
पूछा उनसे जो किसीने कभी, 'कैसे हैं गुलाब?'
हँसके बोले कि वो बगिया ही छोड़ दी हमने