भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

न तुमको ख़बर है / कुमार राहुल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न तुमको ख़बर है
न हमको पता है
सुना है ख़ुदा भी
हुआ लापता है
हर मसला कि जैसे
ख़लिश है ख़ला है
बहुत सोचना भी
मगर एक बला है
जहाँ पर खड़े थे
वहीँ पर खड़े हैं
ये दुनिया के पचरे
दुनिया से बड़े हैं
किसी को ख़बर हो
तो हमको बताये
है जादू तो जादू
हमें भी सिखाये
इधर रस्ता देखें
कि देखें उधर को
तुम्हीं बोलो जाएँ
तो जाएँ किधर को
फिर तो वही बात
हो गयी न प्यारे
न तुमको ख़बर है
न तुमको पता है
सुना है ख़ुदा भी
हुआ लापता है...