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फूल पर कविता / मदन कश्यप
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फूलों पर कविता नहीं लिखी
कुछ पौधे लगाए क्यारियों में
मिट्टी को गोंड-गोंड कर बनाया कोमल
कि जड़े आसानी से फैल सकें
उन्हें सींचा अपनी आत्मा के जल से
पाले और धुएं से बचाया
फिर खिले ढेर सारे फूल
पर इसके पहले
कि रंगों और खुशबुओं से वे रच पाते अपना महाकाव्य
हत्यारों ने रौंद डाली क्यारियां
कुचले गए फूल
चारों तरफ फैल गई तेज खुशबू
फूलों को मसलने वाले खूनी पांवों को
शायद यह पता नहीं था
फूल जितने रौंदे जाएंगे
खुशबू उतनी तेज होगी!