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बाँटों मिली केॅ पियार / बिंदु कुमारी
Kavita Kosh से
एैलोॅ छै त्यौंहार अबकी
बाँटोॅ मिली केॅ पियार रे।
रंग-बिरंगा फूल कुम-कुम
फुली उठलोॅ छै कचनार रे।
झरैं केसर चंदन सगरें
देखों एैलै गरमी रितु भाय रे।
घुंघट तरें गोरी मुस्कै
सोनोॅ ऐन्हों रूप रे।
बहै छै सुन्दर बयार गगन मेॅ,
चहुँ ओर मस्त मजूर-किसान रे।
मुस्कैं छै बन-पर्वत सौंसेॅ
हँसै छै कचनार-टेसू फूल रे।
एैलोॅ छै त्यौंहार अबकी,
बाँटों मिली पियार रे।
गुँजै छै मल्हार कोयलिया,
मस्त होलै घर द्वार रे।
बुतरू-बच्चा रोॅ किलकारी सेॅ,
ऐंगना छै खुशहाल रे।