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भिक्षु की तन्द्रा में / गगन गिल

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भिक्षु की तंद्रा में

बर्फ़ है

पर्वत है


भिक्षु की तन्द्रा में

बचपन है

खेल है

धूप में

बारिश है


तंद्रा में

भिक्षु की

उड़ते सब

कौव्वे हैं


काया तो उसकी
भिक्षु-चोला
ग़ायब है


भिक्षु की तंद्रा में