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मिट्ठू, हमसे बोलो / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
पेड़ों में छुप क्यों रहते हो
मीठे स्वर में क्या कहते हो,
घूमा करते डाली-डाली
क्यों तुमको भाती हरियाली?
राम-राम सीखा है किससे,
राज जरा-सा खोलो तो!
मिट्ठू, हमसे बोलो तो!
आजादी के अजब दिवाने
भरते हो अलमस्त उड़ानें,
चुस्त परों से उड़ते ऐसे
नन्हा-सा जहाज हो जैसे!
आसमान से बातें करने
पंख सजीले तोलो तो!
मिट्ठू, हमसे बोलो तो!