भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सपना / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
नन्हें बच्चे - सा
उसकी उंगली थाम
छोटे - छोटे कदमों से
चल पड़ा है
एक सपना
कदम डगमगाते हैं अभी
पर उसके
अंतःस्पर्श की ऊष्मा
आश्वस्त करती है
गिरेगा नहीं
चलेगा
दूर तक
एक सपना