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सहारा / अजित कुमार

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एक उद्धत चिरैया किए जाती है चें चें
बार-बार डर लगता कि
कहीं चुप न हो जाय ।
है उसीका सहारा अथाह सूनेपन में,
व्यक्त की है उसीने तो
मेरी हाय ।