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सुख.. / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
अचानक
बच्चों के संग खेलना छोड़
बेटा घर लौटा जल्दी
चहक
हाथ पकड़
बाल्कनी में खींच ले गया
नीले, धुले आसमान पर
उग आया था अर्धवृत्ताकार
इन्द्रधनुष
चहकता - दमकता
बेटे - सा
कभी इन्द्रधनुष
कभी बेटे को
देर तक
निहारती रही