भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमारा संकल्प / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
हमारा संकल्प
जो हमने आज लिया है
हमको हमारे देश ने दिया है
जैसे मेघ ने जल दिया है
पेड़ ने फल दिया है
संकल्प का यह जल
हमारा जीवन है
हम यह जीवन
स्वदेश के लिए जिएँगे
संकल्प का यह फल
हमारा मनोबल है
हम इस बल से
स्वदेश के लिए जिएँगे।
रचनाकाल: २०-१०-१९६५