Last modified on 10 दिसम्बर 2010, at 17:15

मिग्रत्रिस्णा / शिवराज भारतीय

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:15, 10 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज भारतीय |संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सुख नै सिरजण री आसा सूं
घणां बणाया मै‘ल माळीया
ल्याया टणकी मोटर गाडयां
आथूणीं होड़ा होड़ी में
घणी मचाई आपाधापी
पईसै सूं सुख पकड़ण सारू
भाजै सगळा लोग-लुगाई
फटफटियै रै पहियै दांई।

हरदम चेताचूक हुया सा
मिनख अणूंता भाजै ई भाजै
खाडा-खोळी अळगा मारग
गिरता-पड़ता कांई न सूझै
भरी तिजोरयां भरी बखारयां
बात करण रो नै‘चो न पावै
हाय पईसो हाय पईसो
करतां रात्यूं नींद न आवै।

पण निज पड़बिंब पकड़ण दांई
सुख री छाया आगै-आगै
पाछै-पाछै म्रिगत्रिस्णा ज्यूं
सगळा लोग-लुगाई भागै।