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मधुप मोहता / परिचय

मधुप मोहता विदेश सेवा संस्थान, विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली में संयुक्त सचिव पद पर कार्यरत हैं। काफ़ी समय से आप हिंदी लेखन कार्य से जुडे़ हैं। देश-विदेश में आपकी कविताओं के पाठ होते हैं। आपके इस काव्य संकलन को 'मैथिलीशरण गुप्त सम्मान' से सम्मानित किया गया है।

समय की रेत पर छूटे निशानों की तरह होती है कविता। कविता-जिसमें दर्द आकार पाता है, टूटे मन की व्यथा शब्दों के ज़रिए मुखर हो उठती है। कविता-जो सपनों और कल्पनाओं के ताने-बाने से बिनी झीनी चदरिया की तरह होती है। कविता-जो समर्पित होती है किसी अदेखें, अजाने व्यक्तित्व को।

'समय, सपना, और तुम' कवि मधुप मोहता की ऐसी ही कुछ भावपूर्ण कविताओं का संकलन है, जिनमें उनके कवि मन की कोमल अनुभूतियां साकार होती हैं।

कवि की बात
मैंने अपने जीवन में समाज के साथ तीन समझौते किए हैं। समाज के साथ मेरा पहला समझौता एक चिकित्सक के रूप में था, दूसरा सैनिक के रूप में तीसरा राजनयिक के रूप में। समाज के साथ मेरे तीनों समझौते अभिव्यक्ति की मर्यादाओं से बँधे हैं। समाज में केवल कवि एक ऐसा व्यक्ति है, जो अभिव्यक्ति के माध्यम से समाज से जो कुछ पाता है, वह समाज को वापस लौटाता है। ‘समय, सपना और तुम’ में संकलित मेरी कविताएँ समाज के प्रति मेरी प्रतिक्रियाएँ हैं।

इस संकलन की कविता ‘समय’ मेरी प्रिय कविता है। ‘समय’ के विषय पर अनेक कविताएँ लिखी गई हैं। उदाहरण के तौर पर टी०एस० इलियट की कविताओं ‘फोर क्वार्टेट्स’ और ‘प्रूफ़ौक’ में समय का बहुत अच्छा चित्रण किया गया है। मेरी कविता ‘समय’ अनायास ही हो गई। समय एक अविराम कविता है और कवि समय के निर्बाध प्रवाह में एक अर्धविराम भर है, जो शब्दों को स्याही में सँजोकर पाठक या श्रोता को प्रस्तुत करता है। भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है, जो एक साथ बीस अलग-अलग सदियों में रह रहा है। इन कविताओं में भारतीय सभ्यता का ही अनूठापन समाहित है। इस संकलन को प्रस्तुत करने में मेरे कई मित्रों ने मुझे सहयोग दिया और उनका उल्लेख यहाँ करना अत्यंत आवश्यक है। मैं सुश्री कामना प्रसाद, नमिता भाटिया, डॉ. रेशमा हिंगोरानी का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिन्होंने अंतरताने व जगह-जगह बिखरे स्मृति के पन्नों को संकलित करने में मेरी सहायता की।