बलि-निर्वास
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | चम्पू काव्य |
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विविध |
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- जीवन-संध्या में आज, पथिक तुम थके और हारे-से हो / गुलाब खंडेलवाल
- दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल
- मना लूँ मन को तो सजनी / गुलाब खंडेलवाल
- सखी री समय-समय की बात / गुलाब खंडेलवाल
- मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल
- मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल
- कल्प वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर से / गुलाब खंडेलवाल
- वांछित जो माँगें आप, सौंवे बलिकाल में / गुलाब खंडेलवाल
- राई में सुमेरु ज्यों विशाल वट वृक्ष में हो / गुलाब खंडेलवाल
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