उनके पास घबाकर है,
कार है, कारबार है,,
सुखी परिवार है,
घर में सुविधाएँ हैं,
बाहर सत्कार है,
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है
कि प्रकट करने को
उसे फूल चढ़ाएँ, डाली दें।
उनके पास न मकान है
न सरोसामान है,
न रोज़गार है,
ज़रूर, बड़ा परिवार है;भीतर तनाव है,
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है कि
किसी पर तो अपना विष उगलें,
किसी को तो गाली दें।
उनके पास छोटा मकान है,
थोड़ा सामान है,
मामूली रोज़गार है,
मझोला परिवार है,
थोड़ा काम, थोड़ा फुरसात है,
इसी से उनके यहाँ दिमाग़ी कसरत है।
ईश्वर है-नहीं है,
पर बहस है,
नतीज़ा न निकला है,
न निकालने की मंशा है,
कम क्या बतरस है!