Last modified on 17 दिसम्बर 2010, at 04:08

कमाल / नवनीत पाण्डे

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:08, 17 दिसम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती में
नहीं दिखाई देती धरती
आकाष में
गुम है आकाष
प्रकाष में
नहीं है प्रकाष
पानी में
नहीं बचा पानी
आग में
कहां बची है आग
फिर भी हम
छेड़े हैं राग
मिलाते हैं ताल
है ना कमाल!