Last modified on 19 दिसम्बर 2010, at 17:00

चलो ! / मनोज छाबड़ा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:00, 19 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज छाबड़ा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> चलो! आज कुछ ऐसा क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चलो!
आज कुछ ऐसा करें
मुस्कुराने की बजाय
आँसू पोंछ लें अपने पिछले सारे
नयी पुस्तक ख़रीदने से पहले
पढ़ डालें सारी पुरानी क़िताबें
बच्चों को डाँटते हुए
रुक जाएँ अचानक
और
खेलने लगें उनके खेल
वैसे ही करें शरारतें
थोड़ा माँ को सताएँ
पिता से डाँट खाएँ
बाहर जाने से पहले
घर में रमें
(चाहे कुछ देर के लिए ही सही)
 
चलो!
पिछले सारे खाते ठीक करें
नयी डायरी शुरू करने से पहले