Last modified on 23 दिसम्बर 2010, at 11:45

पैम्फ़लेट / अरुण चन्द्र रॉय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:45, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण चन्द्र रॉय |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> मुस्कुराते …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुस्कुराते हैं
अख़बारों के पन्नों के बीच
फँसे, गुँथे, लिपटे
पैम्फ़लेट
ख़बरों पर
और उनकी घटती
विश्वसनीयता पर

ख़बरों के कानो में
जा के ज़ोर से चिल्लाते हैं
पूरी रंगीनियत के साथ
कि
ख़बरों से पहले
पढ़े जाने लगे हैं वो...
पैम्फ़लेट

ख़बरों और
अख़बारों के लिए
एक बड़ी ख़बर हैं
ये महत्त्वहीन
पैम्फ़लेट