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झूठ / कन्हैया लाल सेठिया

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कोनी
आंख री
छोरी
निजर स्यूं
जीभ री भायली
झूठ रो मेल,
बा तो
उतर‘र
होठां रा पगोथिया
पूगज्या सीधी
काचा कानां कनैं,
बै चुग्गा
टरका दै
बीं रूलियाड़ नै
आगै स्यूं आगै
आखर धाप
धूल खा‘र
आय ढुकै
बठै
जठै स्यूं हुई
सरू !