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जब
मुहब्बत ही
नहीं रही उससे
तो
उस मयखाने में
जाऊँ ही क्यों
जहाँ पिया करता था
हर रात
उसी के ख़्यालों में गुम ?
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जब
मुहब्बत ही
नहीं रही उससे
तो
उस मयखाने में
जाऊँ ही क्यों
जहाँ पिया करता था
हर रात
उसी के ख़्यालों में गुम ?