तिरतो तिरतो
सुख में
डूब‘र
फंस ज्यावै
दुख रै कादै में
मन,
छटपटावै
फेर
उठण नै ऊपर
लाग ज्यावै
ईं दुंद में
चाणचक हाथ
आतम रतन
जद पड़ै ठा
दुख
कोनी निरधण !
तिरतो तिरतो
सुख में
डूब‘र
फंस ज्यावै
दुख रै कादै में
मन,
छटपटावै
फेर
उठण नै ऊपर
लाग ज्यावै
ईं दुंद में
चाणचक हाथ
आतम रतन
जद पड़ै ठा
दुख
कोनी निरधण !