Last modified on 30 दिसम्बर 2010, at 12:13

पांणी (1) / भंवर भादाणी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:13, 30 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भंवर भादाणी |संग्रह=थार बोलै / भंवर भादाणी }} [[Catego…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


जीवण रौ दूजो
नांव है
पांणी !
पांणी है
बाणी !
नीं जद
बिरथा
जिनगाणी।
सोमरस रा रसिया
इन्द्राणी रा भंवरजी
वज्रपाणी
दस्यु भक्षक
यानि करोड़न करोड़ लोगां रा
कतार-हंता
उल्लू रै
काबिज है जनगाणी !
है धरा रै
च्यारूं खूंट
पांणी
पांणी ई पांणी
थांरी अर म्हारी आंख में
पांणी
उणां रै
चैरे पांणी
आपणी
आसा, तिरसा
पांणी।
उणां रौ
आब-ताब है
पांणी !
हुंवती-होंवती
करीजती
पूजा
पांणीपत थारी।
थारी उतारता
आरती
सुरगां रा देव, देवां रा नाथ
देवापति-सुराधिपति !
थूं म्हानै दिखाया
सुपना इ सुपनां
जै नीं मिळै
ई भवसागर मे
ओ आगोतर
सरतिया मिलैला
पांणी।