Last modified on 5 जनवरी 2011, at 23:33

आगामी दिन / मनमोहन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:33, 5 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनमोहन |संग्रह= }} <poem> आगामी दिन काग़ज़ की कमी के द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आगामी दिन
काग़ज़ की कमी के दिन होंगे

तंबाकू या तेल या
प्याज उन दिनों कोई नहीं
माँगेगा

आप नहीं चकराएँ ग़र
अपनी ही क़लम आपको
बिना लायसेंस की बंदूक की तरह
डराए

उत्पादन बढ़ता मिलेगा
और सभी लोग मुस्कुराते मिलेंगे

क्योंकि सब कुछ ठीक-ठाक
हो जाएगा
आगामी दिनों में

(सितम्बर / अक्तूबर 1980)