Last modified on 9 जनवरी 2011, at 17:30

लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर

Vaibhav Kumar Nain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:30, 9 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग । तहां बचावे अंग,