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सच बताना / सतीश छींपा

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बहुत अच्छा लगता है
तुम्हारे बारे में सोचना
गोया छूना ठण्डी ओस को
तुम्हारे बारे में लिखना
जैसे वेदों की ऋचाओं पर कविता
कविता फैल जाती है अनन्त में
शब्द रहते थिर
तुम्हारा विस्तार
शब्दों के पार
बहुत अच्छा लगता है
देर तक देखना
तुम्हारे चेहरे पर झूलती नथ को
जिसमें अटकी है पृथ्वी
रमता है जीवन
तुम्हारे पासंग में
सच बताओं -
तुम इतनी अच्छी क्यों हो ?