Last modified on 14 जनवरी 2011, at 14:43

अंधारपख / श्याम महर्षि

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:43, 14 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम महर्षि |संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि }} [[Category:…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


अंधारपख रै
सियाळै री लाम्बी रात
भिजैड़ी कांबळ दांई
म्हनैं घणी भारी लागै
अर म्हारै अन्तस मांय
जगावै अमूझ,

काळूंस लदपद
इण रात मांय
सुपना री मोर पांख
पगल्या करै
अर उडीकै
सूरज रै घोड़ा नै

बिछाऊ पलक पांवड़ा
सूरज पैली किरणा नैं
इण भरोसै
बिताऊं हूं सारी रात
अर हिचकू
इण काळी सुरंग सूं निकळ नैं !