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बगीचो / श्याम महर्षि

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म्हारै सै‘र रो
बगीचो
उगैड़ै भाटांरी
इण रोही मांय
न्यारो निरवाळो
आपरै सरूप रो
दिठाव करावै,

अठै रै खांसते
लोग लुगायां रै
फेफड़ा नैं देवै
प्राणवायु अर
गेलै बगते लोगां नैं
ललचावै
बिसाई लेवणैं खातर।

मजबूरी अर अबखायां सूं
उथबेड़ा लोग
अठै गांव मांय
रमैड़ा दिनां नैं
याद करै
अर बगीचै मांय
आ‘र पांख पंखेरू री
चहचहाट सुण‘र
आपरै मन नैं पोखै।

म्हारै सै‘र रो
ओ बगीचो ऑक्सीजन रो
सिलैण्डर है
जिण सूं
अठै रा लोग
आपरी जिन्दगाणी रा
अणमोल सांसां री
गिणती बधावै।